रविवार, 5 जुलाई 2020

अनीयर् प्रत्यय का प्रयोग

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संकलनकर्ता :--- योगाचार्य डॉक्टर प्रवीण कुमार शास्त्री 

छात्रों ! हम आज आपको अनीयर् प्रत्यय बताने वाले हैं । इससे पहले आपने कई प्रत्ययों के बारे में जाना । समय का अंतराल बहुत लंबा था । लेकिन फिर से कई मित्रों और सदस्यों की मांग पर इस प्रक्रिया को, इस शृंखला को पुनः शुरू कर रहे हैं  ।आशा है कि इस तरह की पोस्टों से आपको अत्यधिक लाभ होगा । संकलनकर्ता :--- योगाचार्य डॉक्टर प्रवीण कुमार शास्त्री 

 तो आइए शुरू करते हैं अनीयर् प्रत्यय का विश्लेषण :--- 

(१.) अनीयर् का "अनीय" शेष रहता है , "र्" हट जाता है ।

(२.) इसका अर्थ "चाहिए" होता है । इसे आप अर्ह (योग्यता), शक्यता (सकना) कह सकते हो । (३/३/१६९) संकलनकर्ता :--- योगाचार्य डॉक्टर प्रवीण कुमार शास्त्री 

(३.) इसका प्रयोग कर्मवाच्य और भाववाच्य में होता है अर्थात् कर्तृवाच्य में नहीं होता है । "तयोरेव कृत्यक्तखलर्थाः" (३/४/७०) 
सकर्मक धातुओं से कर्म में और अकर्मक धातुओं से भाव में ।

(४.) कर्तृवाच्य के जिस कर्ता में प्रथमा विभक्ति होती है, उसका कर्मवाच्य और भाववाच्य में तृतीया विभक्ति में प्रयोग होता है ।
कर्मवाच्य का उदाहरण :--- रामेण वेदः पठनीयः ।
भाववाच्य का उदाहरण :--- रामेण हसनीयम्
संकलनकर्ता :--- योगाचार्य डॉक्टर प्रवीण कुमार शास्त्री 

(५.) कर्तृवाच्य के कर्म में द्वितीया विभक्ति होती है, किंतु कर्मवाच्य में उसमें प्रथमा व्यक्ति होगी ।
उदाहरण :--- देवदत्तेन गीता पठनीया ।

(६.) भाववाच्य में कर्म नहीं होता । इसलिए उसका यहां उल्लेख नहीं है । संकलनकर्ता :--- योगाचार्य डॉक्टर प्रवीण कुमार शास्त्री 

(७.) कर्मवाच्य में क्रिया का प्रयोग कर्ता के अनुसार ही होगा । यही सार्वत्रिक नियम है । आपको पता होना चाहिए कि कर्मवाच्य में कर्ता बदल गया है । कर्तृवाच्य में जो कर्म था, वह कर्मवाच्य में कर्ता बन गया । तो उसी कर्ता के अनुसार क्रिया होगी, अर्थात् कर्ता मैं जो वचन और जो पुरुष होगा,  क्रिया में वही वचन और वहीं पुरुष होंगे । उदाहरण :---- कृष्णेन वेदः पठनीयः । कृष्णेन वेदौ पठनीयौ ।कृष्णेन वेदाः पठनीयाः । संकलनकर्ता :--- योगाचार्य डॉक्टर प्रवीण कुमार शास्त्री 

(८.) भाववाच्य में कर्म नहीं होता है । इसलिए यहां पर क्रिया का केवल एक ही नियम होता है कि वह सर्वत्र प्रथमा विभक्ति,  नपुंसक लिंग, एकवचन में होता है । उदाहरण :-- सीतया हसनीयम् । बालकाभ्यां हसनीयम् । कृषकैः हसनीयम् ।

(९.) अनीयर् प्रत्यय का सूत्र है :-- "तव्यत्तव्यानीयरः" (३/१/९६) धातु से तव्यत् तव्य और अनीयर् प्रत्यय होते हैं । संकलनकर्ता :--- योगाचार्य डॉक्टर प्रवीण कुमार शास्त्री 

(१०.) तव्यत् प्रत्ययान्त शब्द का रूप पुल्लिङ्ग में राम के अनुसार, स्त्रीलिङ्ग में रमा के अनुसार और नपुंसकलिङ्ग में गृह के अनुसार चलेंगे । संकलनकर्ता :--- योगाचार्य डॉक्टर प्रवीण कुमार शास्त्री 

(११.) अनीयर् प्रत्यय वाला रूप बनाने का सरल उपाय यह है कि ल्युट् के 'अन' के स्थान में 'अनीय' लगा दो । उदाहरण :---- कृ+ल्युट् (अन) = करण
अब इस 'करण' में अनीयर् लगा दो ।
करण+अनीय = करणीय । 
वस्तुतः इसमें 'कृ+अनीयर्' ही हैं ।
किसी प्रकार से अन्य रूप बनाएं । संकलनकर्ता :--- योगाचार्य डॉक्टर प्रवीण कुमार शास्त्री 

(१२.) जब किसी धातु में अनीयर् प्रत्यय जोड़ते हैं तो उसमें कुछ परिवर्तन होते हैं, जो इस प्रकार से है :---

(क) जिस धातु का अन्तिम अक्षर में इ या ई हो तो उसे "ए" हो जाता है :-- जि+अनीयर्  । जे+अनीयर् । जयनीयम् ।
नी+अनीयर् । ने+अनीयर् । नयनीयम् । संकलनकर्ता :--- योगाचार्य डॉक्टर प्रवीण कुमार शास्त्री 

(ख) जिस धातु का अन्तिम अक्षर में उ या ऊ हो तो उसे "ओ" हो जाता है :-
श्रु+अनीयर् । श्रो+अनीयर् । श्रवणीयम् ।
भू+अनीयर् । भो+अनीयर् । भवनीयम् ।

(ग) जिस धातु का अन्तिम अक्षर ऋ या ॠ हो तो उसे "अर्" हो जाता है :-
कृ+अनीयर् = करणीयम् ।
तॄ+अनीयर = तरणीयम् ।

(घ) जिस धातु का अन्तिम अक्षर में ए या ऐ हो तो उसे "आ" हो जाता है :-
आ+ह्वे+अनीयर्= आह्वनीयम्
गै+अनीयर्= गानीयम्

(१३.) अनीयर् प्रत्यय से बने हुए शब्द विशेषण का काम करते हैं । उदाहरण :---
अहो ! कीदृशं रमणीयम् उद्यानम् ।
एषा दर्शनीया नगरी ।

(१४.) अनीयर् एक प्रकार का "कृत्य" प्रत्यय है :-- "कृत्याः" (३/१/९५) 

(१५.) अभ्यास के लिए कुछ वाक्य :--- संकलनकर्ता :--- योगाचार्य डॉक्टर प्रवीण कुमार शास्त्री 

तुम सब के द्वारा गांव जाया जाना चाहिए --- युष्माभिः ग्रामः गमनीयः ।

मेरे द्वारा पाठ पढ़ा जाना चाहिए :-- मया पाठः पठनीयः ।

राम के द्वारा गद्य पढ़ा जाना चाहिए :--- रामेण गद्यं पठनीयम् ।

तुम्हारे द्वारा गीता पढ़ी जानी चाहिए । त्वया गीता पठनीया ।

तुम सब के द्वारा सदा सज्जनों की संगति करनी चाहिए ।
युष्माभिः सदैव सज्जनैः सङ्गन्तव्यम् ।

तेरे द्वारा इस बालक की चंचलता देखी जानी चाहिए ।
त्वया  अस्य बालकस्य चञ्चलता दर्शनीया । (चाञ्चल्यं दर्शनीयम्)

करने योग्य कार्य कर, ना करने योग्य मत कर ।
करणीयानि कार्याणि करणीयानि , अकरणीयानि कार्याणि मा करणीयानि ।

तेरे द्वारा हंसा जाना चाहिए :--- त्वया हसनीयम् ।

 (१६.) अभ्यास के लिए कुछ प्रश्न :---
इन वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए और टिप्पणी में लिखिए मैं यह पोस्ट ब्लॉगर पर भी डाल रहा हूं वहां से भी आप देख सकते हैं । 'इनबुक' INBOOK में भी आप मुझे देख सकते हैं, पढ सकते हैं, प्रश्नों के उत्तर दे सकते हैं । संकलनकर्ता :--- योगाचार्य डॉक्टर प्रवीण कुमार शास्त्री 

मुझे लेख लिखना चाहिए ।
मुझे हंसना चाहिए ।
तुम्हें काम करना चाहिए ।
मुझे पाठ स्मरण करना चाहिए ।
तुम्हें गाना गाना चाहिए ।
स्त्री को वेद पढ़ना चाहिए ।
समाचार पत्र कहां पढ़ा जाना चाहिए
पुस्तकालय में कोलाहल नहीं किया जाना चाहिए
कहीं पर भी कुछ नहीं लिखा जाना चाहिए ।
कोई वस्तु दूषित नहीं करनी चाहिए ।
विद्यालय पुस्तक ली जानी चाहिए ।
तेरे द्वारा झूठ नहीं बोला जाना चाहिए ।
छात्रों के द्वारा देश की रक्षा की जानी चाहिए ।
छात्रों के द्वारा उपदेश का पालन होना चाहिए ।
तेरे द्वारा बुरे मार्ग का त्याग किया जाना चाहिए ।
कथा वाचक द्वारा कथा कही जानी चाहिए ।
सभी महापुरुषों के चरित्र याद किए जाने चाहिए ।
किसान के द्वारा पशु प्यार से पालन किए जाने चाहिए ।

गुरुवार, 22 जून 2017

ठक्-प्रत्यय

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हम आपको समय-समय पर प्रत्ययों का विस्तृत विश्लेषण बताते रहते हैं । इस क्रम में हमने आपको अब तक नौ प्रत्ययों का विस्तृत विश्लेषण बता दिया है । आज हम मुख्य रूप से तद्धित-प्रत्यय ठक् के बारे में बताने वाले हैं । आशा है कि इससे आपको बहुत लाभ होगा ।
 
पाणिनीय-तन्त्र में प्रत्ययों का प्रयोग दो प्रकार से होता है । प्रथम तो धातु से प्रत्यय जोडे जाते हैं, दूसरे शब्दों से प्रत्यय जोडकर नए शब्दों का निर्माण किया जाता है ।